नंदी की यात्रा एक यात्रा वृतांत निनाद जोशी के द्वारा लिखित
हर कोमल मन में अनंत संभावनाएं होती हैं, इन को विकसित करना आवश्यक है और दोहन करना कठिन। लेकिन अगर इरादा शुद्ध रहता है और लक्ष्य अबिचल, तो परिणाम भी उपयुक्त होते हैं। एक डिजिटल मीडिया स्टार्टअप होने के बावजूद, रोजहब में हमने हमेशा से ही कई नए युवा रचनाकारों को फिल्म निर्माण, व्लॉगिंग, एनीमेशन प्रोजेक्ट, ट्यूटोरियल मेकिंग, कंटेंट राइटिंग और कई अन्य चीजों की पहली यात्रा में सहायता करके अपना समय और संसाधन निबेश किया हैं। इसी क्रम में, हम श्रीमान निनाद को एक अप्रत्याशित यात्रा पर ले गए, मुख्य रूप से उन्हें अपने घर के बाहर बड़े परिदृश्य का कुछ अनुभव देने के लिए।
यात्राएं हमारे जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाने का सबसे खूबसूरत माध्यम है, हम जितनी यात्रा करते हैं, हमारे विचारों और भावनाओं का संसार उतना ही समृद्ध होता है, यात्राओं के कारण हमारे ज्ञान की भी वृद्धि होती है। एक तरह से कहा जाए तो यात्राएं हमारे व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती हैं।
निनाद की यात्रा बीकानेर राजस्थान के बंगालनगर से प्रारंभ होती है, और मेहरानगढ़ किला, करणी माता मंदिर, माउंट आबू होते हुए गुजरात की रानी की बाव (बावड़ी), मोढेरा का सूर्य मंदिर, जूनागढ़, स्टेचू ऑफ यूनिटी, सोमनाथ मंदिर, गीर सफारी, महाराष्ट्र में एलोरा की गुफाए और महाराष्ट्र के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण जनजीवन को करीब से देखते हुए, नागपुर के रास्ते सिंगरौली और सिंगरौली से छतरपुर मध्य प्रदेश में कुछ दिन का प्रवास करते हैं, वहां से खजुराहो जाने का अवसर भी मिल जाता है, तत्पश्चात बनारस और अंत में भोपाल में आकर यह यात्रा समाप्त होती है।
यह यात्रा वृतांत लगभग सोलह वर्षीय बालक निनाद जोशी का है, जिसे वह डायरीनुमा अंदाज में प्रतिदिन अपनी यात्रा में हुए अनेकों पड़ावों को क्रमशः लिखता जाता है।
निनाद ने पहली बार किसी पुस्तक को लिखने का प्रयास किया है और यह उसका पहला संस्करण है। हालांकि हमने इसे गलती से मुक्त और सुंदर बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, लेकिन संभावनाएं हैं कि कुछ पीछे छूट गए होंगे। मैं आपसे और सभी पाठकों से अनुरोध करता हूं कि संवेदनशीलता के साथ इस पुस्तक का आनंद लें, साथ-साथ कोई भी जांच और रचनात्मक सुझाव देने के लिए हमसे बेझिझक संपर्क करें।